अफ्रीका में गोरिल्ला और चिंपांजियों को क्यों है खतरा?

अफ्रीका महाद्वीप, विश्व का दूसरा सबसे बड़ा और जनसंख्या वाला महाद्वीप है, जहां 54 देश और 1.3 बिलियन लोग निवास करते हैं। यह प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध और भूगोल में विविधतापूर्ण है, जिसमें सहारा मरुस्थल, सवाना के घास के मैदान और घने वर्षावन शामिल हैं। अफ्रीका मानवता का उद्गम स्थल माना जाता है और यहाँ की प्राचीन सभ्यताएँ, जैसे मिस्र की सभ्यता, ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हालांकि गरीबी और शिक्षा की कमी जैसी चुनौतियाँ हैं, अफ्रीका की युवा आबादी और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाएं इसे एक गतिशील और महत्वपूर्ण महाद्वीप बनाती हैं।

गोरिल्ला और चिंपांजी को खतरा क्यों

विश्व भर में खनिजों की भारी मांग है ,अफ्रीकी देश से तांबा, लिथियम ,कोबाल्ट और रेयर अर्थ खनिज का खनन बहुत अधिक होता है ! खनन होने और सड़कों के बनने से वहां नए-नए आवास बनने लगे, गतिविधियां तीव्र हुई और क्षेत्र विकसित किए जाने लगे जिससे 10 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले जानवरों पर सीधा असर हुआ और 50 किलोमीटर तक में परोक्ष असर हुआ !
जर्मन सेंटर इंटीग्रेटिव बायोडायवर्सिटी रिसर्च के वैज्ञानिक ने लिखा लगभग 180000 चिंपांजी बोनोवो और गुरिल्लाओं को खतरा है!

बचाव के उपाय

संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं, जैसे कि राष्ट्रीय उद्यानों का निर्माण और स्थानीय समुदायों में जागरूकता फैलाना, लेकिन इन खतरों का समाधान करना एक जटिल और निरंतर प्रक्रिया है। गोरिल्ला और चिंपांजियों को बचाने के लिए अधिक वैश्विक समर्थन और कठोर संरक्षण कानूनों की आवश्यकता है। उनका संरक्षण न केवल जैव विविधता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के लिए भी आवश्यक है।

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