इसराइल[ISRAEL]:प्राचीन सभ्यता से आधुनिक राष्ट्र तक, पश्चिमी एशिया में स्थित एक छोटा लेकिन रणनीतिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण देश है, जिसकी स्थापना 1948 में यहूदी राज्य के रूप में हुई थी। यह देश धार्मिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से विश्व के सबसे विवादास्पद और महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है। इसराइल की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, वर्तमान स्थिति और इसके आसपास के संघर्षों ने इसे विश्व राजनीति के केंद्र मे
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
इसराइल का इतिहास हज़ारों साल पुराना है। यहूदी धर्म के धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इसराइल की स्थापना अब्राहम, इसहाक और याकूब के वंशजों द्वारा की गई थी। यह भूमि यहूदी धर्म का प्रमुख केंद्र रही है, और इसे “प्रतिज्ञा की भूमि” माना गया। प्राचीन काल में इस क्षेत्र पर यहूदी राज्य और साम्राज्यों का शासन था, लेकिन बाद में यह रोमन, बीज़ांटिन और इस्लामी साम्राज्यों के अधीन आया।70 ईस्वी में रोमनों ने यहूदी मंदिर को नष्ट कर दिया, जिसके बाद यहूदी लोग दुनिया भर में बिखर गए, जिसे ‘यहूदी डायस्पोरा’ कहा जाता है।
19वीं सदी के अंत में, ज़ायोनिज़्म आंदोलन के तहत यहूदियों ने इसराइल की भूमि पर लौटने का सपना देखा। इस आंदोलन का उद्देश्य यहूदियों के लिए एक स्वतंत्र राष्ट्र की स्थापना करना था। 1917 में बालफोर घोषणा के माध्यम से ब्रिटिश सरकार ने यहूदी राज्य की स्थापना का समर्थन किया, जिससे यहूदी लोगों की इस क्षेत्र में वापसी का मार्ग प्रशस्त हुआ। 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को दो राज्यों, यहूदी और अरब राज्यों में विभाजित करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन यह प्रस्ताव अरब देशों ने अस्वीकार कर दिया। इसके बावजूद, 14 मई 1948 को इसराइल ने स्वतंत्रता की घोषणा की, और तभी से यह देश संघर्ष और विवाद का केंद्र रहा है।
इसराइल का भूगोल और जनसांख्यिकी
इसराइल का क्षेत्रफल लगभग 22,145 वर्ग किलोमीटर है, जो आकार में छोटा होने के बावजूद प्राकृतिक और सांस्कृतिक विविधता से परिपूर्ण है। इसके पश्चिम में भूमध्य सागर, उत्तर में लेबनान, उत्तर-पूर्व में सीरिया, पूर्व में जॉर्डन और पश्चिमी किनारा (वेस्ट बैंक), और दक्षिण में मिस्र और गाजा पट्टी स्थित हैं।इसराइल की जनसंख्या लगभग 93 लाख है, जिसमें बहुसंख्यक यहूदी (74%) हैं, जबकि अरब अल्पसंख्यक (21%) का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसराइल में एक धार्मिक विविधता देखने को मिलती है, जिसमें यहूदी, मुस्लिम, ईसाई और ड्रूज़ समुदाय शामिल हैं। यरूशलेम, जो इसराइल की राजधानी है, तीन प्रमुख धर्मों — यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम — के लिए पवित्र स्थल है। हालाँकि, यरूशलेम का दर्जा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादास्पद है, और कई देश इसे इसराइल की राजधानी के रूप में मान्यता नहीं देते हैं।
आधुनिक इसराइल का निर्माण
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, यूरोप में यहूदियों के खिलाफ नाज़ी जर्मनी द्वारा चलाए गए होलोकॉस्ट ने यहूदियों की स्थिति और अधिक संकटमय बना दी। इस तबाही ने यहूदी समुदाय को एक मजबूत राष्ट्र की आवश्यकता महसूस कराई। संयुक्त राष्ट्र ने 1947 में इस क्षेत्र को यहूदियों और अरबों के बीच बांटने का प्रस्ताव रखा, जिसके बाद 14 मई 1948 को इसराइल एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित हुआ।लेकिन इसराइल की स्थापना के बाद ही इसे पड़ोसी अरब देशों के साथ संघर्ष का सामना करना पड़ा।
पहली अरब-इसराइल युद्ध 1948 में हुई, जिसमें इसराइल ने अपनी स्वतंत्रता को सुरक्षित रखा। इसके बाद भी, इसराइल और उसके पड़ोसी देशों के बीच कई युद्ध हुए, जैसे 1967 का “छह दिन युद्ध” और 1973 का “योम किप्पुर युद्ध”। इन युद्धों के बावजूद, इसराइल ने अपनी सीमाओं का विस्तार किया और अपनी रक्षा व्यवस्था को मजबूत किया।
आर्थिक और तकनीकी विकास
हालांकि इसराइल एक छोटा देश है और उसे कई सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन इसके आर्थिक और तकनीकी विकास ने इसे एक विकसित राष्ट्र बना दिया है। इसराइल का तकनीकी क्षेत्र, विशेष रूप से हाई-टेक स्टार्टअप्स और साइबर सुरक्षा, विश्वभर में प्रसिद्ध है। इसे अक्सर “स्टार्टअप नेशन” कहा जाता है, क्योंकि इसराइल ने कई अग्रणी तकनीकी नवाचार किए हैं। चिकित्सा अनुसंधान, कृषि विज्ञान, और रक्षा उद्योग में भी इसराइल ने महत्वपूर्ण प्रगति की है।इसके अलावा, पर्यटन भी इसराइल की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यरूशलेम, तेल अवीव, मृत सागर और गैलील झील जैसे ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थलों के कारण हर साल लाखों पर्यटक यहां आते हैं।
इसराइल-फिलिस्तीन संघर्ष
इसराइल के गठन के साथ ही इस क्षेत्र में संघर्ष की शुरुआत हो गई। 1948 के इसराइल अरब युद्ध के बाद, लगभग 7,00,000 फिलिस्तीनी शरणार्थी बन गए, और इसराइल ने अपने सीमा क्षेत्रों का विस्तार कर लिया। यह संघर्ष केवल क्षेत्रीय ही नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक मतभेदों के कारण भी बढ़ा।इसराइल और फिलिस्तीन के बीच का मुख्य विवाद भूमि के स्वामित्व का है।
फिलिस्तीनी इसराइल के अस्तित्व को अस्वीकार करते हैं और 1967 के छह-दिवसीय युद्ध में इसराइल द्वारा कब्जे में ली गई भूमि (पूर्वी यरूशलेम, पश्चिमी किनारा और गाजा पट्टी) को अपनी भूमि मानते हैं।1993 में ओस्लो समझौते के माध्यम से दोनों पक्षों के बीच शांति स्थापित करने के प्रयास किए गए, लेकिन वे असफल रहे। इसराइल ने पश्चिमी किनारे पर बस्तियां बसानी शुरू कर दीं, जिससे फिलिस्तीनी असंतोष और हिंसक विरोध बढ़ गया। फिलिस्तीनी संगठन, जैसे हमास, ने इसराइल के खिलाफ हमले किए, और इसके जवाब में इसराइल ने गाजा पट्टी पर कड़ी सैन्य कार्रवाई की। यह संघर्ष आज भी जारी है, और शांति प्रयास कई बार विफल हो चुके हैं।
निष्कर्ष
इसराइल एक अद्वितीय देश है जो प्राचीन इतिहास, धार्मिक धरोहर और आधुनिक प्रगति का संयोजन प्रस्तुत करता है। हालांकि इसे कई संघर्षों का सामना करना पड़ा है और भविष्य में भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन इसके लोगों की ताकत, और सामाजिक विविधता इसे एक मजबूत राष्ट्र बनाए रखने में सहायक है।