स्वीटजरलैंड ने भारत को दिया गया मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा रद्द कर दिया । मोस्ट फेवर्ड नेशन [MFN] के 164 सदस्य देश हैं , इसके तहत आने वाले सभी देश एक दूसरे को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा देते हैं । यह दर्जा दिए जाने के बाद बिना किसी भेदभाव के सभी देश एक दूसरे के साथ आसानी से बिजनेस कर सकते हैं
स्विट्जरलैंड की सरकार ने अब वहां काम करने वाली भारतीय कंपनियों को 1 जनवरी 2025 से 10% ज्यादा टैक्स लेने की बात कही है स्विट्जरलैंड डबल टैक्स अवॉइडेंस एग्रीमेंट के तहत भारत को एमएफएन राष्ट्र का दर्जा दिया था। इसका इस्तेमाल दोनों देश की नागरिकों और कंपनियों को डबल टैक्स से बचने के लिए करते हैं। इसके तहत कंपनियां या व्यक्तियों को उनकी सेवाओं या प्रोडक्ट के लिए दो अलग-अलग देश में अलग-अलग टैक्स नहीं देना पड़ता है।

क्यों छीना जाता एमएफएन का दर्जा
सामान्य तौर पर WTO के आर्टिकल 21 बी के तहत कोई भी देश सुरक्षा संबंधी विवादों के चलते एक दूसरे से यह दर्जा वापस ले सकता है , अगर कोई देश एम एफ एन का दर्जा किसी देश से छीन रहा है तो वह WTO को सूचित करने के लिए बाध्य है या नहीं यह स्पष्ट नहीं है।
भारत और MFN दर्जा
भारत और पाकिस्तान का संदर्भ:
पाकिस्तान ने 1996 में भारत को MFN का दर्जा दिया था, लेकिन इसे कभी पूरी तरह लागू नहीं किया। फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को MFN का दर्जा वापस ले लिया। इसके पीछे मुख्य कारण राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद से जुड़ी चिंताएँ थीं।
चीन का संदर्भ:
भारत ने चीन को भी MFN का दर्जा दिया, लेकिन सीमा विवाद और व्यापार असंतुलन के चलते यह सवाल उठता है कि क्या इसे बनाए रखना चाहिए।
निष्कर्ष
मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। लेकिन भारत जैसे देश, जो तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है, को अपनी सुरक्षा, आत्मनिर्भरता, और वैश्विक हितों को ध्यान में रखकर निर्णय लेने की जरूरत है। भारत को MFN से अलग किया जाना कूटनीति और व्यापार नीति का हिस्सा है, लेकिन इसे संतुलित रूप से लागू करना जरूरी है ताकि आर्थिक और राजनीतिक लाभ दोनों मिल सकें।
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