क्या दलों की मान्यता खत्म कर सकता है चुनाव आयोग?

चुनाव आयोग भारत का एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है, जिसे देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए स्थापित किया गया है। अनुच्छेद 324 में निर्वाचन आयोग का वर्णन है । सांसद ,राज्य विधानमंडल , राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के पदों के लिए चुनाव संचालन निर्देशन व नियंत्रण की जिम्मेदारी भारत निर्वाचन आयोग यानी चुनाव आयोग की है। यह एक अखिल भारतीय संस्था है क्योंकि केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों के लिए समान है। राज्यों के पंचायत व निगम चुनाव से इसका कोई संबंध नहीं है।

चर्चा का विषय और चुनाव आयोग

चुनाव आयोग के एक रिपोर्ट के कारण यह चर्चा का विषय है , तो हम जानते हैं कि क्या है चर्चा का विषय
इससे पहले कुछ जानकारी देखते हैं दल या पार्टी दो तरह की होती है
पंजीकृत पार्टी और मान्यता प्राप्त पार्टी

पंजीकृत पार्टी :–

किसी भी दल को पंजीकृत होने के लिए कुछ शर्तों को मानना होता है। यह जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 के सेक्शन 29 ए में दिया गया है की पंजीकृत होने के लिए
* अपनी ज्ञापन की एक प्रति जमा करनी होती है

  • वह दल संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखेगा
  • समाजवाद , पंथनिरपेक्ष एवं लोकतंत्रात्मक सिद्धांतों के प्रति सच्ची निष्ठा रखेगा भारत की संप्रभुता एकता और अखंडता को बनाए रखेगा

मान्यता प्राप्त पार्टी :–

किसी भी राजनीतिक दल को मान्यता प्राप्त पार्टी के रूप में घोषणा इलेक्शन कमिशन आफ इंडिया के द्वारा चुनाव प्रतीक आरक्षण एवं आवंटन आदेश 1968 की प्रावधानों के तहत किया जाता है।

*राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय या राज्य पार्टी को 1968 के प्रावधानों के तहत मान्यता प्रदान की जाती है।
*वर्तमान में भारत में छह राजनीतिक 6 राष्ट्रीय पार्टी एवं 61 राज्य पार्टियां i

भारत में जितने भी रजिस्टर्ड या गैर रजिस्टर्ड पार्टी है उनमें सामान्यता एक तिहाई से भी कम ही चुनाव लड़ते हैं । यदि कोई राजनीतिक दल चुनाव लड़ने में , आंतरिक पार्टी चुनाव कराने में या अपेक्षित रिटर्न दाखिल करने में विफल रहता है तो जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 के तहत किसी भी राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द करने की शक्ति चुनाव आयोग को प्रदान नहीं करता ।
यदि कोई राजनीतिक दल धोखाधड़ी से पंजीकृत होता है या संविधान के प्रति निष्ठा समाप्त करता है या फिर सरकार द्वारा दल को गैर कानूनी घोषित कर दिया जाता है ऐसी असाधारण परिस्थिति में चुनाव आयोग राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द कर सकता है।

भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव सुधारो का ज्ञापन 2016 में – कानून में संशोधन का सुझाव दिया जिसमें कहा गया की चुनाव आयोग को पंजीकरण रद्द करने का अधिकार दिया जाना चाहिए।
विधि आयोग ने चुनाव सुधार पर 255 वीं रिपोर्ट में कहा , किसी भी राजनीतिक दल को लगातार 10 वर्षों तक चुनाव लड़ने में विफल रहने पर पंजीकरण रद्द कर दिया जाना चाहिए।

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