One Nation One Election

लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने के मसले पर लंबे समय से बहस चल रही है प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस विचार का समर्थन कर इसे आगे बढ़ाया।
1 सितंबर 2023 को केंद्र सरकार ने One Nation One Election योजना के व्यवहार का पता लगाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक पैनल का गठन किया।

One Nation One Election की योजना क्या है

किसी भी जीवंत लोकतंत्र में चुनाव एक अनिवार्य प्रक्रिया है स्वास्थ्य एवं निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र की आधारशिला होते हैं।
One Nation One Election का विचार पूरे देश में चुनाव की आवृत्ति को कम करने के लिए सभी राज्यों में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव को एक ही समय में करना है।
26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के बाद लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में पहली बार आम चुनाव 1951 –52 में एक साथ आयोजित किए गए थे । यह प्रथा बाद के तीन लोकसभा चुनावों में 1967 तक जारी रही इसके बाद इसे बाधित कर दिया गया।

आठ सदस्य समिति का गठन

कानून मंत्रालय के मुताबिक समिति का नेतृत्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे एवं समिति में गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी , राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद , वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप एवं वरिष्ठ पत्रकार अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल होंगे।

एक राष्ट्र एक चुनाव यानी One Nation One Election से लाभ

1] वन नेशन वन इलेक्शनOne Nation One Election से सार्वजनिक धन की बचत होगी
2] प्रशासनिक व्यवस्था और सुरक्षा बलों पर तनाव कम होगा
3] सरकारी नीतियों का समय पर अपना काम हो सकेगा
4] विकास गतिविधियों पर प्रशासनिक ध्यान केंद्रित होगा
5] चुनाव प्रचार के लिए ज्यादा समय मिल

One Nation One Election के समर्थन में तर्क

a] यह विकास उन्मुख विचार है।
b] आदर्श आचार संहिता अलग-अलग इलेक्शन में लागू करने से विकास कार्यों में बाधा आती है।
c] बार-बार चुनाव कराने से सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ बढ़ता है।
d] काले धन और भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी क्योंकि चुनाव में काले धन का खुलकर इस्तेमाल किया जाता है।
e] एक साथ चुनाव कराने से सरकारी कर्मचारी और सुरक्षा बलों को बार-बार चुनाव ड्यूटी नहीं लगाई जाएगी।

One Nation One Election के विपक्ष में तर्क

एक साथ चुनाव देश में लागू करना असंभव प्रतीत होता है इसके लिए विधानसभाओं के कार्यकाल में कटौती करनी पड़ेगी देश के बाकी भागों में नियत तारीख के अनुरूप लाने के लिए उसके कार्यकाल में वृद्धि करना होगा।
ऐसा कदम लोकतंत्र और संघवाद को कमजोर करेगा।
लोकतंत्र की भावना के विरुद्ध चावन के कृत्रिम चक्र को ठोकना और मतदाताओं के चयन की आजादी को सीमित करेगा क्या करता है।
क्षेत्रीय दलों को नुकसान क्योंकि एक साथ होने वाले चुनाव में मतदाताओं द्वारा मुख्य रूप से एक ही तरफ वोट देने की संभावना अधिक होती है जिससे केंद्र में प्रमुख पार्टी को लाभ होता है।
जवाब देही में कमी हो सकती है क्योंकि प्रत्येक 5 वर्ष में एक से अधिक बार मतदाताओं के समक्ष आने से राजनेताओं की जवाब देता बढ़ती है।

निष्कर्ष

एक देश एक चुनावOne Nation One Election की अवधारणा में कोई बड़ी खामी नहीं है किंतु राजनीतिक पार्टियों द्वारा जिस तरह से इसका विरोध किया जा रहा है इससे लगता है कि निकट भविष्य में लागू कर पाना संभव नहीं है । इसमें कोई दो राय नहीं की विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत , हर समय चुनावी चक्रव्यूह में गिरा हुआ नजर आता है।
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में एक व्यापक चुनाव सुधार अभियान चलाने की आवश्यकता है।

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