बिहार के हृदयस्थल में स्थित मधुबनी, जिसे उसकी प्राचीन संस्कृति, लोककला और विशेष रूप से ‘मधुबनी पेंटिंग’ के लिए वैश्विक स्तर पर पहचान प्राप्त है, आज एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहाँ का दौरा किया। यह यात्रा केवल एक राजनैतिक दौरा नहीं थी, बल्कि एक भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव की कहानी थी—भारत की आत्मा से संवाद का एक जीवंत उदाहरण। प्रधानमंत्री मोदी की मधुबनी यात्रा में किया गया संबोधन एक साधारण राजनीतिक भाषण नहीं था, बल्कि यह मिथिला की आत्मा से निकला एक संवाद था—संस्कृति, विकास और सम्मान की त्रिवेणी में डूबा हुआ।

आतंकवाद के खिलाफ सख्त संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत पहलगाम हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कि उन्होंने कहा “भारत हर आतंकवादी और उसके समर्थकों की पहचान करेगा , उनका पीछा करेगा और उन्हें सजा देगा । हम उन्हें पृथ्वी के अंतिम छोर तक भी खोज निकालेंगे।
संबोधन की शुरुआत: “मधुबनी की धरती को मेरा प्रणाम”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसे ही मंच से अपने भाषण की शुरुआत की, उनका पहला वाक्य था:
“मधुबनी की धरती को मेरा प्रणाम, यह केवल मिथिला की धरती नहीं, भारत की सांस्कृतिक आत्मा है।”इन शब्दों ने जनता के दिल को छू लिया। यह एक नेता की नहीं, एक संवेदनशील भारतवासी की आवाज़ थी, जो अपनी संस्कृति को समझता है और सम्मान देता है।
मधुबनी, जिसे मिथिलांचल का गौरव कहा जाता है, सदियों से विद्या, कला, और अध्यात्म की भूमि रही है। यह वही भूमि है जहाँ माता सीता का जन्म हुआ था और जहाँ विद्यापति जैसे संत कवियों ने अपनी रचनाओं से भारतीय साहित्य को समृद्ध किया। मधुबनी पेंटिंग, जो अब विश्व प्रसिद्ध है, इसी धरती की कोख से उपजी है।
मधुबनी की मिट्टी में बसी संस्कृति
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मधुबनी यात्रा की शुरुआत इसी सांस्कृतिक भावना को नमन करते हुए की। एयरपोर्ट से निकलते ही उनका काफिला पारंपरिक स्वागत गीतों और लोक नृत्यों की गूंज के बीच मधुबनी के हृदय तक पहुँचा। रास्ते भर लोगों का उत्साह देखते ही बनता था—बुजुर्ग, युवा, महिलाएँ और बच्चे, सभी मोदी जी की एक झलक पाने के लिए सड़कों पर उमड़ पड़े।
यात्रा का उद्देश्य: विकास और संवाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल 2025 को बिहार के मधुबनी जिले में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण भाषण दिया इस दौरान उन्होंने बिहार को ₹13480 करोड रुपए की विभिन्न विकास योजनाओं की सौगात दी, जो राज्य के बुनियादी ढांचे, ग्रामीण सशक्तिकरण , ऊर्जा परिवहन और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रधानमंत्री मोदी की मधुबनी यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक रही। इसका प्रमुख उद्देश्य था राज्य और केंद्र सरकार द्वारा संयुक्त रूप से प्रारंभ किए गए विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करना।
- मधुबनी-सीतामढ़ी फोरलेन हाईवे का उद्घाटन
- आधुनिक रेलवे टर्मिनल की शुरुआत
- मिथिला विद्यापीठ विस्तार परियोजना
- मिथिला चित्रकला हब की आधारशिला
महिलाओं के लिए विशेष योजनाएँ:
- ‘मिथिला नारी उद्यमिता योजना’ की घोषणा
- मधुबनी पेंटिंग पर आधारित उत्पादों के लिए निर्यात केंद्र
- ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर महिला कारीगरों को बढ़ावा
जनसभा और संवाद:
- विशाल जनसभा को संबोधित किया
- स्थानीय कलाकारों और महिलाओं से सीधा संवाद
पारंपरिक लोक नृत्य और स्वागत गीतों में भागीदारी
पंचायती राज संस्थाओं को सम्मान
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने देशभर की ग्राम सभाओं और पंचायती राज संस्थाओं को संबोधित किया और कहा कि गांव की सरकारें लोकतंत्र की जड़े हैं। जब गांव मजबूत होंगे , तभी देश मजबूत होगा ।
ऊर्जा के क्षेत्र में सुधार
बिहार में बिजली आपूर्ति को सुदृद्ध करने के लिए प्रधानमंत्री ने ₹5030 करोड की लागत से विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन किया । इसके अलावा ₹1770 करोड़ की लागत से नई परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई, जिससे बिजली वितरण प्रणाली में सुधार होगा ।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मधुबनी में दिया गया भाषण और विकास परियोजनाओं की घोषणा बिहार के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इन पहलुओं से राज्य की बुनियादी ढांचे में सुधार, ग्रामीण सशक्तिकरण, ऊर्जा और परिवहन के क्षेत्र में वृद्धि, और सामाजिक कल्याण में व्यापक परिवर्तन की उम्मीद है । यह बिहार को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।